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Devotional News : पूजा करने का सही समय कौन सा है? यहां जानें क्या है नियम

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Devotional  News : देवी-देवताओं को प्रसन्‍न करने के लिए लोग रोजाना पूजा-पाठ करते हैं. पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है, साथ ही जीवन में शुभता और सकारात्‍मकता का संचार होता है. भगवान के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि आती है. लेकिन कई बार रोजाना पूजा-पाठ करने पर भी यदि उसका पूरा फल नहीं मिल रहा है तो इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि व्‍यक्ति से जाने-अनजाने में गलतियां हो रही हों. इसमें पूजा-पाठ का समय सही ना होना भी वजह हो सकता है. 

सही समय पर ही करना चाहिए सही समय 

धर्म-शास्‍त्रों में भगवान की पूजा-अर्चना करने के कई नियम और सही तरीके बताए गए हैं. इसमें पूजा करने का सही समय भी शामिल है. पूजा करने का पूरा फल या पुण्‍य तभी मिलता है, जब पूजा करने का तरीका सही हो और सही समय पर की जाए. वरना गलत समय पर की गई पूजा से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं और ऐसे में पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में जान लें कि पूजा करने का सही समय क्‍या है और किस समय पूजा नहीं करनी चाहिए.

पूजा का सही समय

धर्म-शास्‍त्रों में पूजा करे के लिए शुभ समय बताया गया है. इस समय पूजा करना बहुत शुभ होता है. 

पहली पूजा का समय- ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:30 से 5:00 बजे तक


दूसरी पूजा- सुबह 09 बजे तक


मध्याह्न पूजा- दोपहर 12 बजे तक


संध्या पूजा- शाम 04:30 से 6:00 बजे तक


शयन पूजा - रात 9:00 बजे तक

इस समय न करें पूजा

- धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार दोपहर में पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए. यह समय पूजा के लिए निषेध माना जाता है. इसलिए मंदिरों के पट भी दोपहर में कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते हैं. मान्‍यता है कि दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे के बीच की गई पूजा को भगवान स्‍वीकार नहीं करते हैं. लिहाजा इस समय की गई पूजा का फल नहीं मिलता है.

- कभी भी आरती करने के बाद पूजा ना करें. आरती हमेशा पूजा के आखिर में की जाती है. 

- पूजा-पाठ हमेशा शुद्ध और पवित्रता की स्थिति में ही करना चाहिए. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पूजा करने की मनाही की गई है. 

- जब घर में सूतक और पातक लगा हो. यानी कि जब घर में बच्‍चे का जन्म हुआ हो या किसी की मृत्यु हुई हो. उस समय पूजा नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ होता है.

- हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा करने को वर्जित बताया गया है. लिहाजा ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ न करें. हालांकि इस समय भगवान की प्रार्थना और मंत्र जाप करते हैं. 

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