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Haryana Education : Haryana में आयुर्वेदिक और एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की होगी संयुक्त पढ़ाई, डिप्लोमा और डिग्रियां मिलेंगी

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Haryana में आयुर्वेदिक और एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की होगी संयुक्त पढ़ाई, डिप्लोमा और डिग्रियां मिलेंगी

चंडीगढ़: देश में एलोपैथी और आयुर्वेदिक उपचार पर चल रही बहस के बीच हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अब अपने राज्य में आयुर्वेदिक और एलोपैथी दोनों चिकित्सा पद्धतियों में डाक्टरी की संयुक्त पढ़ाई कराएगी। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग ने प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

कोरोना काल में पीड़ित मरीजों के इलाज में जहां एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति कारगर साबित हुई है, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संयुक्त चिकित्सा पद्धति को अपने राज्य में प्रभावी ढंग से लागू करने के पहल की है। आयुष-एलोपैथी की संयुक्त पद्धति से इलाज के साथ-साथ योग व फिजियोथैरेपी को साथ-साथ जोड़ा जाएगा।

प्रदेश सरकार का मानना है कि किसी भी गंभीर और असाध्य बीमारियों में अंग्रेजी इलाज के साथ-साथ देसी इलाज काफी कारगर साबित होता है। हजारों ऐसे मरीज हैं, जो अंग्रेजी दवाई तो खाते ही हैं, लेकिन साथ ही आयुर्वेदिक दवाइयों का भी इस्तेमाल करते हैं। इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।

शुरू होगा योगा विद फिजियोथैरेपी इंटीग्रेशेन को कोर्स

योगा और फिजियोथैरेपी भी लगभग एक समान है। योगा किसी भी बीमारी के उपचार का प्राकृतिक रूप हो गया और फिजियोथैरेपी अंग्रेजी रूप हो गया। इसलिए राज्य सरकार अपने प्रदेश में ऐसी चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करना चाहती है, जिसमें गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को बढ़िया उपचार हासिल हो सके। प्रदेश सरकार ने आयुष-एलोपैथी की संयुक्त पद्धति से इलाज के फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है।

यह कमेटी संयुक्त पाठ्यक्रम के नियम, संयुक्त पाठ्यक्रम और इन पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए फैकल्टी की जरूरत का अध्ययन कर अगले साल 30 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी। आयुष-एलोपैथी की संयुक्त चिकित्सा पद्धति के तहत राज्य सरकार ज्वाइंट- डिग्री/डिप्लोमा कोर्स इन आयुष-एलोपैथी कराएगी। साथ ही योगा विद फिजियोथैरेपी इंटीग्रेशेन कोर्स होगा।

पांच अधिकारियों की कमेटी तैयार करेगी संयुक्त पाठ्यक्रम

हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त सचिव जी अनुपमा की ओर से संयुक्त फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उसमें आयुष महानिदेशक, श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के वीसी के विशेषज्ञ प्रतिनिधि, पीजीआइ रोहतक के वीसी के विशेषज्ञ प्रतिनिधि, डा. निर्मल खंडेलवाल और चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के संयुक्त निदेशक प्रशासन शामिल किए गए हैं।

इस कमेटी को विस्तार से अपनी रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही यह भी निर्देशित किया गया है कि कोर्स की अवधि, कोर्स की पढ़ाई के लिए प्रस्तावित पाठ्य पुस्तकें, उनके लेखक और जरूरत पड़ने वाली फैकल्टी के बारे में कंपलीट जानकारी उपलब्ध कराई जाए। फिर इस रिपोर्ट के साथ वित्त विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ चर्चा करेंगे। वित्त विभाग मुख्यमंत्री के पास है।

अनिल विज कर चुके दोनों चिकित्सा पद्धतियों का समर्थन

बाबा रामदेव के बयानों के बाद आयुर्वेद व एलोपैथी पद्धति से इलाज की बहस के बीच हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का बयान आया था कि ऐसी बहसबाजी से मरीजों में भ्रम फैल सकता है, ये वक्त बहस का नहीं, बल्कि मरीजों की हौसला अफजाई करने व उनको बेहतर इलाज देने का है। जहां आयुर्वेद से इलाज हो, वहां इससे हो सकता है, जहां एलोपैथी की जरूरत हो, वहां उससे हो सकता है। सभी का अपना-अपना महत्व है। इस पर बेवजह बहस किया जाना ठीक नहीं है। इलाज की यह पद्धतियां एक-दूसरे की विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे की सहयोगी हैं।

बाबा रामदेव के बयान से मचा था हडकंप

पिछले दिनों योग गुरु बाबा रामदेव का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में उन्होंने एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को ‘मूखर्तापूर्ण विज्ञान ‘ बताया था। स्वामी रामदेव ने कहा था कि एलोपैथिक दवाएं खाने से लाखों लोगों की मौत हुई है। डाक्टर भी अपनी जान नहीं बचा पाए। उनके इस बयान के बाद ही देशभर के डाक्टरों में रोष बढ़ गया था। बाबा ने यह बात देश में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपचार की वैधता साबित करने के उद्देश्य से कही थी। इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हषवर्धन ने एक पत्र लिखकर योग गुरु रामदेव से कोरोना योद्धाओं के खिलाफ की गई ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ को वापस लेने के लिए कहा था। रामदेव ने उनके पत्र का जवाब देते हुए अपने बयान पर खेद व्यक्त किया था।

असरदार है आयुर्वेदिक पद्धति- सीएम खट्टर

एलोपैथी और आयुर्वेद दोनों ही चिकित्सा पद्धतियां भारत में काफी पापुलर हैं। हालांकि अक्सर ये सवाल उठता है कि इन दोनों पैथी में से कौन-सी ज्यादा बेहतर है या फिर किस बीमारी के लिए कौन ज्यादा फायदेमंद है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति जहां बीमारी से बचाव और उसको जड़ से खत्म करने में असरदार है, तो एलोपैथी एक्यूट और सीवियर बीमारियों, जटिल आपरेशन और इन्फेक्शन के इलाज में बेहतर है। दोनों ही पैथी के कुछ न कुछ लाभ हैं। कौन सी पैथी सही है या कौन सी सही नहीं है, इसकी बहस में पड़ने की बजाय हमारी सरकार संयुक्त चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करते हुए इसमें पढ़ाई कराने जा रही है।

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