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Breast Cancer: ये किट बताएगी ब्रेस्ट कैंसर उपचार में कीमोथेरेपी की जरूरत है या नहीं, जानिए क्या है ये तकनीक

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ब्रेस्ट कैंसर

Breast Cancer:बदल रहे लाइफस्टाइल और खान पान की आदतों में लापरवाही के चलते महिलाओं में दिनों दिन ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा देखने को मिल रहा है। स्तन कैंसर(breast cancer) के रोगियों को ठीक करने के लिए कीमोथेरेपी(Chemotherapy) हमेशा से इलाज का हिस्सा रहा है। मगर इन दिनों कैंसर के इलाज के लिए कुछ ऐसे स्क्रीनिंग टेस्ट (early cancer detection) इजाद किए गए हैं, जिसके बाद अब कीमोथेरेपी के खर्च से आसानी से बचा जा सकता है। दरअसल, भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ हेममेल अमरानिया और उनकी टीम ने एक रेपिड स्क्रीनिंग सिस्टम(rapid screening test) खोज निकाला है। इसके इस्तेमाल से अब स्तन कैंसर को समय रहते डिटेक्ट कर लिया जाएगा। इससे रोगियों को कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

क्या है स्तन कैंसर

स्तनों की कोशिकाओं में बनने वाले कैंसर को ब्रेस्ट कैंसर कहा जाता है। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिलते है। बीमारी की बेहतर जानकारी, समय पर मिलने वाला इलाज और लोगों में बढ़ रही अवेयरनेस ने इस बीमारी की डेथ रेट को नियंत्रित किया है।

ये लक्षण बताते हैं स्तन कैंसर की दस्तक

  • स्तन में गांठ होना जो ब्रेस्ट पर अलग से नज़र आने लगे।
  • स्तन की शेप और साइज में परिवर्तन महसूस होना।
  • ब्रेस्ट की ऊपरी स्किन में डिम्पलिंग का एहसास होना।
  • त्वचा का लाल होना।

जानिए क्या है ब्रेस्ट कैंसर के लिए बनाई गई डिटेक्शन किट

आमतौर पर खतरा बढ़ने के बाद मरीज़ को कीमो की प्रक्रिया से होकर गुज़रना ही पड़ता है। मगर इस टेस्ट से रोग को शुरूआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है। इससे इलाज करने में भी बेहद आसानी रहती है। लंदन बेस्ड इम्पीरियल कॉलेज एंड कैंसर रिसर्च सेंटर में डिजीस्टेन मेडिकल फर्म ने एक डिटेक्शन किट तैयार की है। इस किट को पैथोलॉजिस्ट समेत करीबन 1,500 ऑन्कोलॉजिस्ट के इनपुट के साथ बनाया गया है। जहां नॉटिंघम यूनिवर्सिटी अस्पताल और लंदन के चेरिंग क्रॉस अस्पताल में इसका ट्रायल सफल रहा। वहीं भारत में अपोलो ग्रुप भी उच्च स्तर पर इसकी टेस्टिंग प्रक्रिया में जुटा हुआ है।

लंदन के शोधकर्ता और वाई कॉम्बिनेटर के संस्थापक डॉ हेममेल अमरानिया ने इस तकनीक को सस्ती और तेज़ बताया है। उनका कहना है कि इस तकनीक में 95 प्रतिशत से अधिक सटीकता के चांस हैं। जो कम समय में रिजल्ट उपलब्ध करवाने में कारगर है। न केवल समस्या को इवेल्यूएट करने की स्पीड घंटों और दिनों में होगी। वहीं अगर खर्च की बात करें, तो इस टेस्ट का खर्चा भी कीमोथेरेपी से 30 फीसदी कम होगा।

सही निदान से सस्ता होगा कैंसर का उपचार

आमतौर पर कैंसर के निदान के लिए एक्साइज्ड बायोप्सी सैम्पल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें हेमेटॉक्सिलिन और ईओसिन के आधार पर हिस्टोपैथोलॉजी प्रोटोकॉल का उपयोग करके वर्गीकृत किया जाता है। वहीं नई तकनीक मिड इंफ्रारेड इमेजिंग के ज़रिए बायोप्सी अनुभाग में न्यूक्लिक एसिड या परमाणु से साइटोप्लाज्मिक रासायनिक अनुपात की आंशिक एकाग्रता को मापने का काम करती है।

इसका मकसद कैंसर के डायग्नोज की क्षमता को इवेल्युएट करना है। इस बारे में डॉ अमरानिया कहते हैं, ये प्रक्रिया खासतौर से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे का पता लगाने में मददगार साबित होगी। जो दुनिया भर में पाए जाने वाले कैंसर में से सबसे ज्यादा पाया जाता है।

क्या कहते हैं इस बारे में भारतीय डॉक्टर

वहीं, दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ मनीष सिंघल ने भी स्क्रीनिंग टेस्ट के ज़रिए दो पेशेंटस का इलाज किया है। कीमोथेरेपी की अपेक्षा इसकी लागत बेहद कम है। जो उसकी तुलना में महज एक चौथाई है। इस बारे में डॉ सिंघल बताते हैं कि ये नई प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए सबसे बेहतर विकल्प है, जिन्हें शुरूआती स्टेज में ही कैंसर की जानकारी हो जाती है। हांलाकि अब इस बीमारी के बारे में दिनों दिन अवेयरनेस बढ़ रही है। आंकड़ों की मानें, तो 60 फीसदी पेशेंट अब शुरुआती दौर में ही इलाज के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं।

ट्रीटमेंट के नियमों में होने वाले सुधार के चलते डेथ रेट में काफी कमी देखने को मिली है। वहीं डॉक्टर्स की गाइडेंस के लिए कई प्रकार की तकनीकों और थेरेपीज़ की आवश्यकता को भी महसूस किया जा रहा है। ताकि ब्रेस्ट कैंसर के मामलों को कंट्रोल किया जा सके।

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